सरकार एक अलग किस्म के प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके तहत सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार होने वाली वेतन बढ़ोतरी का 50 फीसदी हिस्सा पहले दो वर्षों में अनिवार्य रूप से बैंक कैपिटलाइजेशन बॉन्ड्स में निवेश करना होगा। ऐसा केवल ज्यादा इनकम वाले सरकारी कर्मचारियों के मामले में किया जाएगा। बॉन्ड की रकम का इस्तेमाल बैंकों को पूंजी मुहैया कराने में होगा और इस तरह सरकारी खजाने पर इस मद में अतिरिक्त बोझ नहीं आएगा।
ऐसा होने पर ऊंची इनकम वाले कर्मचारियों के हाथ में कम कैश आएगा, लेकिन इन बॉन्ड्स में निवेश पर उन्हें इनकम टैक्स छूट मिलेगी। जो लोग टैक्स बचाने के लिए वेतन बढ़ोतरी का 50 पर्सेंट से ज्यादा हिस्सा निवेश करना चाहेंगे, उन्हें ऐसा करने दिया जाएगा। इस प्रस्ताव के मुताबिक, कम सैलरी वाले कर्मचारियों यानी 5,200 से लेकर 20,200 रुपये के ब्रैकेट में आने वालों और पेंशनभोगियों को यह छूट होगी कि वे चाहें तो इस 'बैंक रीकैपिटलाइजेशन स्कीम' में निवेश करें और न चाहें तो न करें। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है कि इस प्रस्ताव पर गुरुवार को एक मीटिंग में शुरुआती चर्चा की गई। उन्होंने कहा, 'हम सभी विकल्पों पर गौर कर रहे हैं।'
अधिकारी ने बताया, 'प्रस्ताव में कहा गया है कि इनकम टैक्स ऐक्ट के एक प्रावधान के तहत 2016-17 और 2017-18 में वेतन आयोग के जरिए एक्स्ट्रा सैलरी इनकम पाने वाले सभी कर्मचारियों को टैक्स छूट मिलनी चाहिए, बशर्ते जिस रकम पर छूट मिले, उसे बैंक रीकैपिटलाइजेशन स्कीम में निवेश किया जाए।'
सातवें वेतन आयोग को 1 जनवरी 2016 से लागू करने पर सरकार को 40,000-50,000 करोड़ रुपये सालाना का अतिरिक्त बोझ उठाना होगा। फाइनैंस मिनिस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, सरकारी बैंकों को अगले चार वित्त वर्षों में 1.8 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी चाहिए। इसमें से सरकार 70,000 करोड़ रुपये देगी। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष में इस मद में 25,000 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया है। प्रस्ताव के मुताबिक, बॉन्ड्स के मच्योर होने पर ही पेमेंट की नौबत आएगी, जिससे सरकार पर मौजूदा वित्त वर्ष में केवल इंटरेस्ट पेमेंट की जिम्मेदारी बनेगी।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बैंकों को यह रकम एक स्पेशल बैंक कैपिटलाइजेशन फंड के जरिए दी जाएगी, जो बैंकों की ओर से जारी परपेचुअल नॉन-रिडीमेबल प्रिफरेंस शेयरों में निवेश करेगा। बैंक 5.1% लाभांश देंगे और उस पर लाभांश वितरण टैक्स न लेने का प्रस्ताव भी है।
फंड सरकारी कर्मचारियों को 5% ब्याज देगा और ऐडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज के रूप में 0.1% अपने पास रख लेगा। अधिकारी ने कहा, 'इंटरेस्ट इनकम भी कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री होगी।' सरकार 8, 9, 10 और 11 वर्षों बाद कर्मचारियों को रकम का भुगतान करेगी।
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