करीब पौने दो साल की मशक्कत के बाद केंद्र द्वारा गठित सातवें वेतन आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है उससे भारत सरकार के सैंतालीस लाख कर्मचारियों और बावन लाख पेंशनभोगियों को सीधे-सीधे लाभ पहुंचेगा। परंपरा के अनुसार मामूली बदलाव के बाद देश भर की राज्य सरकारें, स्वायत्तशासी संस्थान और सरकारी नियंत्रण वाली फर्म भी वेतन आयोग को अपना लेती हैं। इस हिसाब से इसका असर संगठित क्षेत्र के दो करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों पर पड़ेगा।
आयोग की सिफारिशें लागू होने से अकेले केंद्र सरकार के खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कर्मचारियों के वेतन में औसतन 23.55 फीसद और पेंशन में चौबीस प्रतिशत इजाफा होगा।
पिछले सत्तावन बरस में सरकारी मुलाजिमों का वेतन 225 गुना बढ़ गया है। 1959 में दूसरा वेतन आयोग आया था, जिसमें न्यूनतम वेतन अस्सी रुपए था। अगर पिछले छह दशक की महंगाई पर नजर डालें तो वार्षिक वेतन वृद्धि दस प्रतिशत ही बैठती है।
सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके माथुर ने इस बार कई भत्तों को मिला दिया है। न्यूनतम वेतन 18000 रुपए और अधिकतम 2.50 लाख रुपए (कैबिनेट सचिव, तीनों सेना प्रमुख और सीएजी) तय किया गया है
सातवें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन (18000 रुपए) तय करते समय प्रतिमाह 9218 रुपए भोजन और कपड़ों और 2033 रुपए विवाह, मनोरंजन और तीज-त्योहार के लिए तय किए हैं।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद भारत सरकार में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी का वेतन (भत्ते जोड़ कर) करीब 25000 रुपए हो जाएगा। ऐसे में सरकारी नौकरियों के लिए मारामारी और बढ़ेगी।
सरकारी मुलाजिमों के लिए पहले वेतन आयोग की रिपोर्ट स्वतंत्रता से पूर्व 1947 में आ गई थी। इसमें न्यूनतम वेतन पचपन रुपए तय किया गया और सिफारिशें 1946 से लागू हुर्इं। उसके बाद छह वेतन आयोग आ चुके हैं।
हर दस साल बाद आने वाले वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन वृद्धि अमूमन ढाई से चार गुना के बीच रहती है। चौथे आयोग से बढ़ोतरी का आंकड़ा लगातार तीन गुना से ऊपर चल रहा था, जो इस बार घट कर 2.57 गुना पर आ गया है।
आयोग की सिफारिशें लागू होने से अकेले केंद्र सरकार के खजाने पर करीब एक लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। कर्मचारियों के वेतन में औसतन 23.55 फीसद और पेंशन में चौबीस प्रतिशत इजाफा होगा।
पिछले सत्तावन बरस में सरकारी मुलाजिमों का वेतन 225 गुना बढ़ गया है। 1959 में दूसरा वेतन आयोग आया था, जिसमें न्यूनतम वेतन अस्सी रुपए था। अगर पिछले छह दशक की महंगाई पर नजर डालें तो वार्षिक वेतन वृद्धि दस प्रतिशत ही बैठती है।
SOURCE - jansatta.
Updates:
Follow us on WhatsApp, Telegram Channel, Twitter and Facebook for all latest updates
Post a Comment