सातवां वेतन आयोग - सेनाओं के नए वेतनमान में कई हैं बदलाव

सातवां वेतन आयोग - सेनाओं के नए वेतनमान में कई हैं बदलाव

नई दिल्ली: सेनाओं में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, नया वेतनमान 31 मई तक मिल जाने की उम्मीद है। इन सिफारिशों से सेनाओं में पहले खुशी नहीं देखी गई थी, लेकिन जानकार बता रहे हैं कि अब नए ब्यौरों पर पैनी नजर डालें तो मूड बदल सकता है। नया वेतनमान लागू करने का नोटिफिकेशन बुधवार को रक्षा मंत्रालय ने जारी कर दिया। इससे सेनाओं में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक वेतनमान और बकाये के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

सेनाओं की ओर से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर छह समस्याओं की जानकारी दी गई थी। इन समस्याओं पर रक्षा मंत्रालय की ओर से गौर के बाद वित्त मंत्रालय को भेज दिया गया। सेनाओं ने इस मामले को पीएमओ को भी विचार के लिए भेजा। रक्षा मंत्री ने कह दिया है कि तीन मूल समस्याओं को जल्द सुलझा दिया जाएगा।
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सूत्रों का कहना है कि जेसीओ और अन्य रैंकों में ग्रुप एक्स पे की दो दरें होंगी। इनमें 3600 रुपये की निम्न दर (सामान्य के लिए) और 6200 रुपये की उच्च दर (टेक्निकल के लिए) होगी। इससे तकनीकी पक्ष की ओर सेनाओं में झुकाव बढ़ेगा। वेतन में सामान्य बढ़ोतरी 14.29 पर्सेंट आंकी गई है, लेकिन साल-दर-साल बढ़ोतरी ज्यादा होने की उम्मीद है। जेसीओ के लिए 5000 से 9000 रुपये के बीच, जबकि अन्य रैंकों के लिए यह 3000 से 7000 रुपये के बीच होगा।

बताया गया है कि ब्रिगेडियरों के लिए रैशनलाइजेशन इंडेक्स 2.57 से 2.67 कर दिया गया है और स्टेज भी बढ़ा दिए गए हैं। कर्नल एवं ले. कर्नल का भी इंडेक्स 2.67 हो जाएगा। इससे मैक्सिमम पे में करीब 18,000 रुपये से 20,000 रुपये की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है और पेंशन भी बढ़ेगी। विकलांगता पेंशन के मामले में स्लैब सिस्टम हटा दिया गया है, जिसका विरोध हो रहा था। अब यह प्रतिशत पर आधारित हैं।

भत्तों के मामले में लवासा कमिटी की सिफारिशों को कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है, इसलिए भत्तों को सिविलियनों की तरह अभी लागू नहीं किया गया है। सेनाओं की ओर से भी लवासा कमिटी के सामने चिंताएं रखी गई हैं। सेनाओं के मुख्यालयों को उम्मीद है कि इस मामले में उचित सिफारिश की जाएगी।

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि लोग इसकी तुलना छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से कर रहे हैं। लेकिन सेना के पिछड़ने की स्थिति नहीं है। अगर सातवें वेतन आयोग के ब्यौरों को अच्छी तरह खंगाला जाए तो दूसरे केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही या फिर ज्यादा ही वेतनमान बढ़ रहा है। सभी विसंगतियां खत्म हो जाने पर समस्या कहां है? सेना आशावान है कि गरमी का मौसम वेतन आयोग की दृष्टि से सुहाना होगा।

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